पंजाब सीएम के खिलाफ आपराधिक शिकायत, देखें क्या है विवाद
- By Vinod --
- Saturday, 01 Oct, 2022

Criminal complaint against Punjab CM, see what is the controversy
चंडीगढ़। पंजाब के संगरूर जिले से सांसद एवं शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) प्रधान सिमरनजीत सिंह मान के बेटे ईमान सिंह पंजाब के CM भगवंत मान और पंचायत मंत्री कुलदीप सिंह के खिलाफ कोर्ट पहुंच गए हैं। उन्होंने जमीनी विवाद में अपने नाम पर 125 एकड़ जमीन होने का दावा किया है। ईमान सिंह ने पंजाब CM भगवंत मान और कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल के खिलाफ चंडीगढ़ की जिला अदालत में आपराधिक शिकायत दायर की है।
ईमान सिंह के मुताबिक, CM और पंचायत मंत्री के अनुसार, उन्हें कहा गया है कि यदि उनके पास इतनी जमीन है तो वह इसे साबित करके दिखाएं। कोर्ट में मामले की सुनवाई 5 नवंबर को होगी। ईमान सिंह के वकील ने बताया कि ईमान सिंह मान पर पंचायती जमीन पर कब्जा करने के आरोप हैं, जो सरासर झूठ हैं। ईमान सिंह के नाम पर 5 बीघा और 14 बिस्वा जमीन है, जो दादा ने उन्हें उपहार के तौर पर दी है।
ईमान सिंह मान के पिता शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) प्रधान सिमरनजीत सिंह मान ने पंजाब की संगरूर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में AAP के उम्मीदवार गुरमेल सिंह को 5822 वोटों के अंतर से हराया था। तीन बार सांसद रह चुके सिमरनजीत सिंह मान अपने गर्म विचारों के कारण लगातार विवादों से रहे हैं। उन्होंने शहीद भगत सिंह को ‘आतंकवादी’ कह दिया था, इससे सिमरनजीत सिंह मान पर कई सवाल खड़े हुए। उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा था। उन्होंने खालिस्तान पर विवादित बयान देते हुए इसके फायदे भी गिनाए थे।
सिमरनजीत सिंह मान शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के अध्यक्ष हैं। उनका जन्म 1945 में हुआ। उनके पिता लेफ्टिनेंट कर्नल जोगिंदर सिंह मान 1967 में पंजाब विधानसभा के स्पीकर रहे। सिमरनजीत अब तीसरी बार सांसद बने हैं। पहली बार 1989 में तरनतारन और दूसरी बार 1999 में संगरूर से जीते थे। सिमरनजीत को करीब 30 बार पुलिस हिरासत में ले चुकी है, लेकिन उन्हें कभी सजा नहीं हुई। गौर करने वाली बात यह है कि पंजाब के पूर्व CM कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर और सिमरनजीत सिंह मान की पत्नी बहनें हैं।
सिमरजीत सिंह मान 1967 में पुलिस में भर्ती हुए थे। 18 जून 1984 को उन्होंने ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में CISF बॉम्बे में ग्रुप कमांडेंट के पद से इस्तीफा दिया। इसके बाद उन्हें हिरासत में लिया गया था। फिर वह 1989 में वह लोकसभा चुनाव जीते, लेकिन 1990 में उन्हें लोकसभा के अंदर जाने से रोका गया था। संसद सत्र के दौरान मान अपने साथ कृपाण ले जाना चाहते थे और इसकी मंजूरी नहीं मिलने पर विरोध में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया। 1999 में दोबारा सांसद बनने पर कृपाण अंदर ले जाने की जिद नहीं की।